अंदाज......................राजेन्द्र जोशी
किया था एक समझौता
तुम्हारे साथ
नजदीक रहने भर का
तुम्हीं से
लेकिन तुम ते
समेट ले गई मुझे ही
आहिस्ता से
हंसती हुई बाहों में
अकेली,
अलहदा अंदाज में
मेरा गहरी सोच के बिना
मेरे रक्त के समंदर में
तैरने लगी
मेरी हर इच्छा
पूरी करती हुई
मछली की तरह।
-राजेन्द्र जोशी
.... हेल्थ, पत्रिका से
बहुत सुन्दर रचना हैँ। आपका ब्लॉग http://safaraapka.blogspot.in/ पर हैँ। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteप्रेम अक्सर ऐसा ही होता है ...
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDeleteBahut sunder
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