मुस्कराहट को जो रुख़सार संभाले हुए हैं
दिल में लगता है कि आज़ार संभाले हुए हैं
दिल के खण्डरात के सब्ज़े में हैं इतनी यादें
कितना कुछ हम भी न बेकार संभाले हुए हैं
धूप, बरसात, हवाओं से बचाती है हमें
हम तेरी याद की दीवार संभाले हुए हैं
क्यों भला ग़ैर लगायेगा निशाना मुझपर
काम ये मेरे तरफ़दार संभाले हुए हैं
उठ गये लोग थियेटर हुआ ख़ाली लेकिन
आप अब तक वही किरदार संभाले हुए हैं
बाद जिसके न कोई जीत हमें जीत सकी
ख़ुद में हम ऐसी भी इक हार संभाले हुए हैं
आप अख़लाक़ के पहलू को भी देखें साहब
इससे क्या होगा कि दस्तार संभाले हुए हैं
मुल्क की, कौ़म की क्या बात करूं मैं इनसे
ये भले लोग तो घर-बार संभाले हुए हैं
रेगज़ारों की कोई बात न कुछ छालों की
"आप ज़ंजीर की झंकार संभाले हुए हैं"
तीरगी हमको है "नवनीत" ज़िया से बेहतर
रोशनी, सुनते हैं बाज़ार संभाले हुए हैं
नवनीत शर्मा 09418040160
http://wp.me/p2hxFs-1Pi
दिल में लगता है कि आज़ार संभाले हुए हैं
दिल के खण्डरात के सब्ज़े में हैं इतनी यादें
कितना कुछ हम भी न बेकार संभाले हुए हैं
धूप, बरसात, हवाओं से बचाती है हमें
हम तेरी याद की दीवार संभाले हुए हैं
क्यों भला ग़ैर लगायेगा निशाना मुझपर
काम ये मेरे तरफ़दार संभाले हुए हैं
उठ गये लोग थियेटर हुआ ख़ाली लेकिन
आप अब तक वही किरदार संभाले हुए हैं
बाद जिसके न कोई जीत हमें जीत सकी
ख़ुद में हम ऐसी भी इक हार संभाले हुए हैं
आप अख़लाक़ के पहलू को भी देखें साहब
इससे क्या होगा कि दस्तार संभाले हुए हैं
मुल्क की, कौ़म की क्या बात करूं मैं इनसे
ये भले लोग तो घर-बार संभाले हुए हैं
रेगज़ारों की कोई बात न कुछ छालों की
"आप ज़ंजीर की झंकार संभाले हुए हैं"
तीरगी हमको है "नवनीत" ज़िया से बेहतर
रोशनी, सुनते हैं बाज़ार संभाले हुए हैं
नवनीत शर्मा 09418040160
http://wp.me/p2hxFs-1Pi
वाह बहुत सुंदर !
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - मंगलवार- 21/10/2014 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 38 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
Bahut sunder prastuti...dhanteras va deewali ki shubhkamnaayein !!
ReplyDelete