अपना सारा जिस्म ही महका लगे
सोचना तुमको बहुत अच्छा लगे !
यूँ भी होता है तुम्हारी बज़्म में
वक़्त अपनी गोद में ठहरा लगे !
इस तरह देखो मुझे तुम आँख भर
ज़ख़्म इस दिल पर कोई गहरा लगे !
इतना घूमा हूँ तुम्हारी चाह में
ख़ूँ में हरदम कारवाँ भटका लगे !
कीजिए तो इश्क़ मौजे-नूर है
सोचिए तो धुन्ध का दरिया लगे !!
--अश्विनी कुमार विष्णु
प्रस्तुतिः सोनू अग्रवाल
http://yashoda4.blogspot.in/2012/05/blog-post.html
सोचना तुमको बहुत अच्छा लगे !
यूँ भी होता है तुम्हारी बज़्म में
वक़्त अपनी गोद में ठहरा लगे !
इस तरह देखो मुझे तुम आँख भर
ज़ख़्म इस दिल पर कोई गहरा लगे !
इतना घूमा हूँ तुम्हारी चाह में
ख़ूँ में हरदम कारवाँ भटका लगे !
कीजिए तो इश्क़ मौजे-नूर है
सोचिए तो धुन्ध का दरिया लगे !!
--अश्विनी कुमार विष्णु
प्रस्तुतिः सोनू अग्रवाल
http://yashoda4.blogspot.in/2012/05/blog-post.html
वाह .... बेहतरीन
ReplyDeleteवाह... लाजवाब
ReplyDeleteलाजवाब गज़ल
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