Sunday, August 17, 2014

इतना घूमा हूँ तुम्हारी चाह में.........अश्विनी कुमार विष्णु


 
 
अपना सारा जिस्म ही महका लगे
सोचना तुमको बहुत अच्छा लगे !

यूँ भी होता है तुम्हारी बज़्म में
वक़्त अपनी गोद में ठहरा लगे !

इस तरह देखो मुझे तुम आँख भर
ज़ख़्म इस दिल पर कोई गहरा लगे !

इतना घूमा हूँ तुम्हारी चाह में
ख़ूँ में हरदम कारवाँ भटका लगे !

कीजिए तो इश्क़ मौजे-नूर है
सोचिए तो धुन्ध का दरिया लगे !!

--अश्विनी कुमार विष्णु
प्रस्तुतिः सोनू अग्रवाल


http://yashoda4.blogspot.in/2012/05/blog-post.html

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