चंद हाइकु...डॉ.यासमीन ख़ान
पिया के रंग
रंगी मोरी चूनर
नैनो में वर।
झुके है सर
अब चल अम्बर
पिया के घर।
खूब सँवर
तकेगा दिलबर
एक नज़र।
अब सुधर
सकल भूलकर
रब ही वर।
भव सागर
भौतिकता नाचे है
चढ़ के सर।
भटके नर
मोह में फंसकर
हे! परवर।
है जर-जर
तन,मन पंजर
संताप हर।
कृपानिधान
एक तू ही महान
कृपा तू कर।
डॉ.यासमीन ख़ान
27-04-2019
सुन्दर।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-05-2019) को "संस्कारों का गहना" (चर्चा अंक-3322) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर हायकु
ReplyDeleteउत्तम रचना डॉ.
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