Sunday, April 28, 2019

मेरी गुलाबी कली ...श्वेता सिन्हा

सोनचिरई मेरी मिसरी डली 
बगिया की मेरी गुलाबी कली 

प्रथम प्रेम का अंकुर बन
जिस पल से तुम रक्त में घुली 
रोम-रोम, तन-मन की छाया
तुम धड़कन हो श्वास में ढली 

नन्ही नाजुक छुईमुई गु़ड़िया
छू कर रूई-फाहे-सी देह को,
डबडब भर आयी थी अँखियाँ 
स्पर्श हुई थी जब उंगलियां मेरी।

महका घर-आँगन का कोना
चहका मन का खाली उपवन,
चंदा तारे सूरज फीके हो गये
पवित्र पावन तुम ज्योत सी जली।

हँसना-बोलना, रूठना-रोना तेरा
राग-रंग, ताल-सप्तक झंकृत
हर रूप तुझमें ही आये नज़र
सतरंगी इंद्रधनुष तुम जीवन से भरी।

एक आह भी तुम्हारा दर्द भरा
नयनों का अश्रु बन बह जाता है
मौन तुम्हारा जग सूना कर जाता है
मेरी लाडो यही तेरी है जादूगरी

मैं मन्नत का धागा हूँ तेरे लिए
तुझमें समायी मैं बनके शिरा
न चुभ जाये काँटा भी पाँव कहीं
रब से चाहती हूँ मैं खुशियाँ तेरी


5 comments:

  1. वाह ¡¡
    गहराई से हृदय तक उतरते मन से निकले सच्चे उद्गगार।
    हमारी गुड़िया रानी प्रांजल को मेरी भी उम्र लग जाये उसकी झोली मे सदा चांद सितारे मुस्कुराये हर बुलंदी छू आसमान पर घर बनाये।
    फोटो बहुत ही प्यारा है मिठी का चश्मे-बद्दूर।
    और आज जन्म दिवस हो तो ढेरों ढेरों आशीष और शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  2. वाह..सिर्फ वाह।

    ReplyDelete
  3. वाह बहुत ही खूबसूरत रचना

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन रचना दी 👌👌
    सादर

    ReplyDelete
  5. अपनी नन्ही परी के लिए इससे बेहतर उद्गार और क्या हो सकते हैं...बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति...
    अनन्त शुभाशीष प्रिय प्रांजल को....

    ReplyDelete