Friday, April 26, 2019

थे मदहोश....तरसेम

कल चाँद के
उगने से लेकर
आज के सूरज के
उगने तक
डालते रहे खलल
नींद में मेरी
चुप रहकर भी
कितना कह गए 
दिखते नहीं हो
बसे हो फिर भी
आँखों में ही
दूर हो कितने
फिर भी कितने पास 
चल रहा था
बातों का सिलसिला
थमा सा था चाँद भी

थे खामोश
और एक दूजे में 
थे मदहोश..!!
-तरसेम



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