Monday, April 22, 2019

चुगली कहूँ........ज़हीर अली सिद्दीक़ी

चुगली कहूँ...
या क्रिकेट की गुगली 
क्रमशः करने और दूसरा डालने पर
बोल्ड होना तय है॥

तरक्क़ी से भय 
चापलूसी से उदय  
मुहब्बत की दिखावटी विधा
लोकमत की ख़िलाफ़त तय है॥

मित्रता को सर्पदंश 
आपसी रिश्ते के शकुनि-कंस
प्रेमिका से तक़रार  
विध्वंसक नतीजा तय है॥

कहीं मनोरंजन तो...
मनमुटाव कहीं...
प्रतिशोध की ज्वाला की वजह कहीं 
अंधकारमय नतीजा तय है॥

चाल है प्रकाश की 
ऊर्जा है आकाश सी  
कम्पन है भूकंप की 
कम्पन से प्रवास तय है॥

भूत से वर्तमान का
भविष्य है रहस्य का 
रहस्य ही प्रचंड है  
गोपनीयता का दंग होना तय है॥
-ज़हीर अली सिद्दीक़ी 

8 comments:

  1. वाह !बेहतरीन 👌
    सादर

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-04-2019) को "झरोखा" (चर्चा अंक-3314) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    पृथ्वी दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. Wonderful poem yet again... and thanks alot for sharing this.

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