ताँका....डॉ. सुरंगमा यादव
*
निज शक्ति का
हनुमत को जब
हुआ आभास
पल में लाँघ लिया
निस्सीम पारावार ।
*
प्रकृति सदा
निरत रहती है
निज कार्यों में
मनुज होकर तू
व्यर्थ वक़्त बिताये।
*
पथ बाधा से
विचलित होकर
जीवन व्यर्थ
सच्चा मनुज वही
जो करता संघर्ष।
-डॉ. सुरंगमा यादव
वाह
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.4.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3313 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद