आँचल की गाँठ में
हल्दी-सुहाग में
साथ-साथ बाँध लायी अम्माँ की कविता!
चावल-अनाज में
खील की बरसात से
थोड़ी सी चुरा लायी जीवन की सविता!
मढ़िया की भीत पे
सगुन थाप प्रीत से
सीने से लगाय लाई थोड़ी सी कविता।
मैया ने अच्छर दिये
बापू ने भाषा दी
भैया के जोश से उठान लाई कविता।
सासू जो बोलेगी
ताने यदि गूँजेंगे,
तकिया बनाय आँसू पोंछेगी कविता!
रौब कोई झाड़ेगा
शेर सा दहाड़ेगा
खरगोश सी सीने में दुबकेगी कविता।
पेट भले भूखा हो
जीवन चाहे रूखा हो
जीवन को जीवन बनाय देगी कविता।
ए मैया, उपकार किया
मुझ को पढ़ाय दिया
मुश्किल की घड़ियों में साथ देगी कविता।
आँसू में गीत पलें,
लोरी में नींद जले,
जीवन को नदिया बनाय देगी कविता।
-डॉ. शैलजा सक्सेना
बहुत उम्दा
ReplyDeleteवाह हर प्रवाह मे कविता जीने का आधार कविता कितनी सहज और प्यारी कविता ।
ReplyDeleteउम्दा लेखन।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteकविता है तो जीवन है!!!
जैसे सबके मन की बात लिख दी हो।
कितना व्यापक फ़लक है इस कविता का.
शुभकामनाएं
सादर
बहुत सुंदर
ReplyDeleteमुश्किल की घड़ियों में साथ देगी कविता .... सुंदर सरल शब्दों में निःशब्द करता सृजन
ReplyDelete