ज़िन्दगी एक सफ़र है,
कोई होड़ नहीं,
कुछ देर इस मोड़ पर ठहरते है...
पल-दो-पल जीने के लिए ।
मानते हो मंजिल जिसे,
वहाँ भी अधूरे ख्वाब है,
हर हथेली में यहाँ,
सिकुड़ा आँसमान है।
कब तलक दौड़ते रहोगे,
सड़क के सफ़र में,
वक़्त जीने में ही,
आदमी की शान है।
ज़िन्दगी एक सफ़र है,
कोई होड़ नहीं,
कुछ देर इस मोड़ पर ठहरते है..
पल-दो-पल जीने के लिए ।
©रामबन्धु वत्स
वाह सत्य!!
ReplyDeleteपल दो पल जीने के लिए।
बहुत खूब .... लाजवाब
ReplyDeleteआप ने मुझे अपने पाठकों से जोड़ा, आभारी रहूँगा सदा।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 15 मार्च 2018 को प्रकाशनार्थ 972 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
वाह!!खूबसूरत रचना ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत विचार ।
ReplyDeleteज़िन्दगी एक सफ़र है,
ReplyDeleteकोई होड़ नहीं,
कुछ देर इस मोड़ पर ठहरते है..
पल-दो-पल जीने के लिए ।------- वाह !!!!!!! अति सुंदर चिंतन !!!!!