ये मौसम सुहाना
होली का बहाना
हमें प्यार है उड़ाना
पहल कर दिखाना।
ये रंगी हवाएँ
फूलों को झुलाएँ
हमें पास बुलाएँ
लेतीं हमारी बलाएँ
ये मस्ती का भाव
सबको खेलने का चाव
ना ओ किसी को ताव
रहे सबका यही ख्वाब।
ना हो कोई उदास
जीवन में निराश
मिलन की हो आस
सब आएँ पास-पास।
रंग चढ़े मनपर
ना हो कभी कमतर
चाहे ना चढ़े तनपर
पर हो फुहार सब पर।
कोई घर ना बचे
कोई शहर ना रहे
कोई भी ना छूटे
कोई दिल ना टूटे
दिल दिल से मिलें
वैर के पते झड़ें
देवस्थ दूर हम करें
रंग राग के भरें।
रंग ऐसा लगे
कि सब रंगमय लगे
कुछ ना अलग दिखे
सब पहचान ही मिटे।
सब जाति के रंग
सब धर्मों के रंग
घोलकर प्यार के रंग में
मल दो हरेक के मन में
ना रहे कोई भी अलग ढंग में।
रहे मस्त होली के हुड़दंग में
रंग जाएँ मानवता के रंग में।
-प्रेम लता पांडे
होली की अशेष शुभकामनाएँ
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-03-2017) को "खेलो रंग" (चर्चा अंक-2898) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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रंगों के पर्व होलीकोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'