Sunday, October 30, 2016

मैं कच्‍ची मिट्टी............. सीमा 'सदा' सिंघल
















मैं उतरना चाहती हूं 
तेरे मन के आंगन में 
मां तेरी ही तरह 
बसना चाहती हूं सबके दिलों में 
यूं जैसे तेरी ममता 
बसती है ...दर्पण की तरह जिसमें 
जिसकी भी नजर पड़ती है 
उसे अपना ही 
अक्‍स नज़र आता है ... !!!

मैं कच्‍ची मिट्टी 
तुम उसकी सोंधी सी महक 
अंकुरित हुई तेरे 
प्‍यार भरे पावन मन में, 
तुलसी के चौरे की 
परिक्रमा करती जब तुम 
आंचल थामकर 
मैं चलती पीछे-पीछे 
संस्‍कार से सींचती 
तुम मेरा हर कदम 
मैं डगमगाती जब भी 
तुम उंगली पकड़ाती अपनी 
मैं मुस्‍करा के चलती 
संग तुम्‍हारे कदम से कदम मिलाकर ... !!!!

-सीमा 'सदा' सिंघल

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