तुम बाग़ लगाओ, तितलियाँ आएँगी
उजड़े गाँव नई बस्तियाँ आएँगी
जिन चेहरों सूखा, आँख में सन्नाटा
बादल बरसेंगे, बिजलियाँ आएँगी
दो चार क़दम जो, चल भी नहीं पाते
हिम्मत की नई, बैसाखियाँ आएँगी
उम्मीद की बंसी, बस डाले रखना
क़िस्मत की सब, मछलियाँ आएँगी
सफ़र में अकेले, हो तो मालूम रहे
तेरे सामने भी, दुश्वारियां आएँगी
नाकामी अंदाज़ में, कुछ नये छुपाओ
अख़बार छप के, सुर्खियाँ आएँगी
-सुशील यादव
बहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत खूब ।
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