खु़द अपना बारे-गम ढोना पड़ेगा
मगर हर लम्हा खुश होना पड़ेगा
वो इतना हँस चुका है ज़िन्दगी में
कि शायद उम्र भर रोना पड़ेगा
अगर तुम खु़द को पाना चाहते हो
तो आपने आप को खोना पड़ेगा
वो शायद ख़्वाब में दोबारा आये
मुझे इक बार फिर सोना पड़ेगा
निखर जायेगी फिर सूरत तुम्हारी
मगर अश्कों से मुँह धोना पड़ेगा
पड़ेगा दुश्मनों का साथ देना
ख़िलाफ़ अपने उसे होना पड़ेगा
-डॉ. फ़रियाद "आज़र"
बढ़िया ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2501 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत ही लाजवाब शेर ... हर शेर पे दाद कबूल फरमाएं ...
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