वक़्त को जरूरत के पंख लगा दो तो
वो और तेजी से भागता है,
ठहरता नहीं जरा भी
सोचती हूँ भागते-भागते
कितना कुछ पीछे छूट गया होगा
पर वो मस्त है
उसके पास अपनी ही व्यस्तता है
गुजरे हुए कल और आने वाले कल के बदले
वह आज में जीने का अभ्यस्त है !!!
जो गुज़र गया है वो
काल के गाल में समा गया
जो आने वाला है
उसकी भी उसे फिक्र नहीं
बस आज और अभी में जीता है
काश समय के इस पाठ को
हम भी पढ़ पाते, सीख पाते इससे
वर्तमान में जीना !!!
....
हम विपरीत नियमावलि को अपनाते हैं
तभी तो वर्तमान में अतीत को जीते हैं
भविष्य को संजोते हैं संवारते हैं
औ' अपने आज को
संघर्षपूर्ण या फिर कड़वा कर लेते हैं !!!!!!
-सीमा 'सदा'
सुन्दर ।
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