Saturday, October 29, 2016

न्याय.............अधीर













न्याय बिक जाता है ...
कोतवाल बिक जाता है....
वकीलों का भी,
हर सवाल बिक जाता है,
सच को भी यहाँ….
अक्सर बिकते देखा है,
मुजरिमों को ऐश.... 
हमने करते देखा है,
मिलती है सज़ायें..
नेकी ..करने वालो को,
मिटा देते है कभी कभी 
ये अंधेरें भी.. उजालो को
हाँ... 
इस बात से,
नही मुझे इंकार है,
की नेकियाँ जहां में..
फिर भी बरक़रार है।

-सुरेश पसारी "अधीर"

7 comments:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-10-2016) के चर्चा मंच "आ गयी दीपावली" {चर्चा अंक- 2511} पर भी होगी!
    दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर , दीप पर्व मुबारक !

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  3. सुन्दर रचना

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  4. नेकियाँ हैं तभी तो संसार टिका है। .
    बहुत सुन्दर
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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