जाने क्यूँ !!!...................सदा
शब्दों की चहलकदमी से
आहटें आती रहीं
सन्नाटे को चीरता
एक शोर
कह जाता कितना कुछ
मौन ही !
बिल्कुल वैसे ही
मेरी खामोशियाँ आज भी
तुमसे बाते करती हैं
पर ज़बां ने खा रखा है
चुप्पी का नमक
कुछ भी कहने से
इंकार है इसे
जाने क्यूँ !!!
-सदा
......फेसबुक से
उम्दा
ReplyDeleteइक शोर सा मचा है जहन के सन्नाटे में
इक आवाज गुज़रती है दिल के दरीचे से
हर शाख पर फूल तन्हाई के खिले हैं
ख्वाब मचलते है ज़ज्बातों के बगीचे में
अज़ीज़ जौनपुरी
मौन की गहराई को व्यक्त करती अभिव्यक्ति! साभार! आदरणीया यशोदा जी!
ReplyDeleteधरती की गोद
गहन अभिव्यक्ति...
ReplyDeletebahut sundar
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