यूं तो आई तूफान-सी बाधाएं
आई सुनामी-सी मुश्किलें
तोड़ने को मेरे सपनों का घरौंदा
पर मैं न हारी न टूटी
न मैं किस्मत से रूठी
न मैं रोई न बेबस हुई
न छोड़ी मैंनें लेका-सच्चाई
अब बस आगे बढ़ना है
न हारना है न रुकना है
क्यूंकि जब मैंनें हिम्मत करी
मेरे सपनों ने उड़ान भरी..
-जयश्री कुदाल..
.............पत्रिका से
इस कविता को पढ़कर ऐसा लगा कि ये नई कलम है
आपकी राय इनको प्रोत्साहित करेगी.....सादर
आपकी राय इनको प्रोत्साहित करेगी.....सादर
एक कहावत है...मन के हारे हार...मन के जीते जीत...नारी के अबला या सबला होने की बात मन की गहराइयों से उठती है...सुन्दर गहन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन्दर सोच लेकर विहग सी उड़ान भरे
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