हवा यूं तो हर दम भटकती है.............मुहम्मद अलवी साहब
हवा यूं तो हर दम भटकती है, लेकिन
हवा के भी घर हैं
भटकती हवा
जाने कितनी दफ:
 
शह्द की मक्खियों की तरह
घर में जाती है अपने !
अगर ये हवा
घर न जाए तो समझो
के उसके लिए घर का दरवाज़ा वा
फिर न होगा कभी
और उसे और ही घर बनाना पड़ेगा
ये हम और तुम
और कुछ भी नहीं
हवाओं के घर हैं !
-मुहम्मद अलवी साहब
http://wp.me/p2hxFs-1AN 
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना बुधवार 01/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सुन्दर.......नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteantim pankti bahut kuchh kah gai...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति अल्वी जी.
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