हवा यूं तो हर दम भटकती है.............मुहम्मद अलवी साहब
हवा यूं तो हर दम भटकती है, लेकिन
हवा के भी घर हैं
भटकती हवा
जाने कितनी दफ:
शह्द की मक्खियों की तरह
घर में जाती है अपने !
अगर ये हवा
घर न जाए तो समझो
के उसके लिए घर का दरवाज़ा वा
फिर न होगा कभी
और उसे और ही घर बनाना पड़ेगा
ये हम और तुम
और कुछ भी नहीं
हवाओं के घर हैं !
-मुहम्मद अलवी साहब
http://wp.me/p2hxFs-1AN
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (31-12-13) को "वर्ष 2013 की अन्तिम चर्चा" (चर्चा मंच : अंक 1478) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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2013 को विदायी और 2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना बुधवार 01/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
ReplyDeleteनई पोस्ट नया वर्ष !
नई पोस्ट मिशन मून
सुन्दर.......नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteantim pankti bahut kuchh kah gai...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति अल्वी जी.
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