Wednesday, December 25, 2013

मुश्किल है ये जीवन, इसे आसान करेंगे..................सतीश शुक्ला "रकीब"





अंजान हैं, इक दूजे से पहचान करेंगे
मुश्किल है ये जीवन, इसे आसान करेंगे

खाई है क़सम साथ निभाने की हमेशा 
हम आज सरेआम ये ऐलान करेंगे 

इज़्ज़त हो बुज़ुर्गों की तो बच्चों को मिले नेह
इक दूजे के माँ-बाप का सम्मान करेंगे

हम त्याग, सदाचार, भरोसे की मदद से 
हर हाल में परिवार का उत्थान करेंगे 

आपस ही में रक्खेंगे फ़क़त, ख़ास वो रिश्ते 
हरगिज़ न किसी और का हम ध्यान करेंगे

हर धर्म निभाएंगे हम इक साथ है वादा
तन्हा न कोई आज से अभियान करेंगे

सुख-दुख हो, बुरा वक़्त हो, या कोई मुसीबत 
मिल बैठ के हम सबका समाधान करेंगे 

जीना है हक़ीक़त के धरातल पे ये जीवन 
सपनोँ से नहीं ख़ुद को परेशान करेंगे 

जन्नत को उतारेंगे यही मंत्र ज़मीं पर 
सब मिल के 'रक़ीब' इनका जो गुणगान करेंगे
 
-सतीश शुक्ला "रकीब"
 
सौजन्यः श्री नीरज गोस्वामी के ब्लाग से

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