जहां न कोई हो अपना वहां पै जाना क्या
जहां पै कोई हो अपना वहां से आना क्या
इसी में उलझा रहेगा भला ज़माना क्या
न दूट पायेगा इसका ये खोना पाना क्या
तुम्हें है फ़िक्र नशेमन की मुझको गुलशन की
न हो चमन ही सलामत तो आशियाना क्या
अब एक रोज़ हमेशा के वास्ते आ जा
ये रोज़ रोज़ का इस तरह आना जाना क्या
है शुक्र इनका उड़ा लायीं आँधियाँ तिनके
वगरना ‘प्रेम’ बना पाता आशियाना क्या
प्रेम कुमार शर्मा ‘प्रेम’ पहाड़पुरी 09352589810
इसी में उलझा रहेगा भला ज़माना क्या
न दूट पायेगा इसका ये खोना पाना क्या
तुम्हें है फ़िक्र नशेमन की मुझको गुलशन की
न हो चमन ही सलामत तो आशियाना क्या
अब एक रोज़ हमेशा के वास्ते आ जा
ये रोज़ रोज़ का इस तरह आना जाना क्या
है शुक्र इनका उड़ा लायीं आँधियाँ तिनके
वगरना ‘प्रेम’ बना पाता आशियाना क्या
प्रेम कुमार शर्मा ‘प्रेम’ पहाड़पुरी 09352589810
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सुन्दर .......
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ReplyDeleteNice collection Yashoda Ji...
ReplyDeleteBahoot sunder
ReplyDeleteBahoot sunder
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