Friday, November 4, 2016

कोई इन्‍द्रधनुष जब बनता है ... सीमा 'सदा' सिंघल



प्रेम सब कुछ छोड़ देता है 
पर भरोसा करना नहीं छोड़ता 
जिस दिन वह भरोसा करना छोड़ देगा 
यकीं मानो 
उसे कोई प्रेम नहीं कहेगा !!!
.... 
टटोल कर देखो कभी रिश्‍तों में प्रेम 
बिना ठहरे पल-पल का हिसाब 
करती यादों के साथ 
अपने सम्‍बंधों का 
बाईस्‍कोप तैयार करता मिलेगा मन तुम्‍हें
जो वक्‍़त-बेवक्‍़त एक अदद तस्‍वीर 
बड़ी ही तन्‍मयता से चिपका लेता था !
.... 
ना कोई आवाज लगाता 
कि तुम पलटकर देखो ना ही तुमसे दूर जाता, 
बसकर रह जाता रूह में सदा के लिए 
खामोशियों में भी धड़कन का गति में रहना
दिखाता है प्रेम के रंग 
कोई इन्‍द्रधनुष जब बनता है 
सारे रंग मन के संगी हो जाते हैं !!
......
मन की मुंडेर पर जब भी 
प्रेम आकर चहका है 
हर बुरे विचार को 
बड़े स्‍नेह से चुगता चला गया 
इसकी चहचहाहट के स्‍वर
आत्‍मा में उतरते चले जब 
भरोसे की एक थपकी 
यकीन की पगडंडियों पर 
मेरे साथ-साथ चलती रही !!!

-सीमा 'सदा' सिंघल

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