इन्सान की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती
हर अर्ज़ी की किस्मत में मंजूरी नहीं होती
कौन कहता है फ़ासले दूरी से होते हैं
फ़ासले वहीं होते हैं जहाँ दूरी नहीं होती
दुनियादारी के फैसले तो ज़ेहन से होते हैं
इनमें दिल की रजामंदी ज़रूरी नहीं होती
बेवफ़ाई कुछ लोगों की फितरत होती है
हर बेवफ़ाई के पीछे मजबूरी नहीं होती
वो लोग नाकाम रहते हैं दुनिया में अक्सर
जिनसे मेहनत तो होती है जीहजूरी नहीं होती
ये भरम है कि हमीं से मुकम्मल है दुनिया
ये दुनिया किसी के बगैर अधूरी नहीं होती
-डॉ. विजय कुमार सुखवानी
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteबेहद शानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2459 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
डॉक्टर विजय जी, उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ
ReplyDeleteडॉक्टर विजय जी, उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ
ReplyDeleteवो लोग नाकाम रहते हैं दुनिया में अक्सर
ReplyDeleteजिनसे मेहनत तो होती है जीहजूरी नहीं होती
ये भरम है कि हमीं से मुकम्मल है दुनिया
ये दुनिया किसी के बगैर अधूरी नहीं होती
-डॉ. विजय कुमार सुखवानी--साधू साधू