Monday, September 5, 2016

इसलिए मै टूट गया …..फेसबुक


एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे!
एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है।
वो माँ को बताता है….
कामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर फेककर कहती है ये कांच है हीरा नहीं…..
कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है।
वह सुनार के पास जाती है…
सुनार समझ जाता है इसको कही मिला होगा,
ये असली या नकली पता नही इसलिए पूछने आ गई.
सुनार भी होशियारी से वो हीरा बाहर फेंक कर कहता है!! 
ये कांच है हीरा नहीं।
कामवाली लौट जाती है। सुनार वो हीरा चुपके सेे उठाकर जौहरी के पास ले जाता है,
जौहरी हीरा पहचान लेता है।
अनमोल हीरा देखकर उसकी नियत बदल जाती है।
वो भी हीरा बाहर फेंक कर कहता है ये कांच है हीरा नहीं।
जैसे ही जौहरी हीरा बाहर फेंकता है…उसके टुकडे टुकडे हो जाते है…
यह सब एक राहगीर निहार रहा था…वह हीरे के पास जाकर पूछता है…
कामवाली और सुनार ने दो बार तुम्हे फेंका…तब तो तूम नही टूटे…
फिर अब कैसे टूटे? हीरा बोला….
कामवाली और सुनार ने दो बार मुझे फेंका
क्योंकि…वो मेरी असलियत से अनजान थे।
लेकिन….जौहरी तो मेरी असलियत जानता था…
तब भी उसने मुझे बाहर फेंक दिया…यह दुःख मै सहन न कर सका…
इसलिए मै टूट गया …..

ऐसा ही…
हम मनुष्यों के साथ भी होता है !!!
जो लोग आपको जानते है,
उसके बावजूद भी आपका दिल दुःखाते है
तब यह बात आप सहन नही कर पाते….!
इसलिए….
कभी भी अपने स्वार्थ के लिए करीबियों का दिल ना तोड़ें…!!
हमारे आसपास भी… बहुत से लोग… हीरे जैसे होते है !
उनकी दिल और भावनाओं को .. कभी भी न दुखाएं…
और ना ही… उनके अच्छे गुणों के टुकड़े करिये…!!

फेसबुक, हंसमुख जी के वाल से

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-09-2016) को "आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार"; चर्चा मंच 2457 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
    शिक्षक दिवस और गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena

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