Monday, October 16, 2017

माँ चुप रह जाती है...............अमित जैन 'मौलिक'

मेरे हालात को मुझसे, पहले समझ जाती है
माँ अब कुछ नहीं कहती, चुप रह जाती है।

तब भी मुस्कराती थी, अब भी मुस्कराती है
माँ चुप रहकर भी, बहुत कुछ कह जाती है।

एक वक्त था जब सब, माँ ही तय करती थी
अब क्या तय करना है, तय नहीं कर पाती है।

तसल्लियों की खूंटी पर, टांग देती है ज़रूरतें
मेरी मुश्किलात माँ, पहले ही समझ जाती है।

जिसे दुश्वारियों के, तूफ़ान भी ना हिला पाये हों
वो अपने बच्चे के, दो आँसुओं में बह जाती है।

मेरी माँ कभी मेरी, जेबें खाली नहीं छोड़ती 
पहले पैसे भरती थी, अब दुआयें भर जाती है।

7 comments:

  1. तसल्लियों की खूंटी पर, टांग देती है ज़रूरतें
    मेरी मुश्किलात माँ, पहले ही समझ जाती है।....मन की बात!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।माँ शब्द ही इतना स्नेहमयी है कि
    मन एक चिरपरिचित प्रेम से भीग जाता है।

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत आभार आदरणीया आपका। सभी गुणीजनों का बहुत बहुत शुक्रिया।

    ReplyDelete
  4. बहुत‎ सुन्दर‎ ....,

    ReplyDelete
  5. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना
    पहले पैसे भरती थी,अब दुआएं भर जाती है...
    लाजवाब....

    ReplyDelete