मैं तुमसे प्यार तो नहीं करता
लेकिन तुम्हारी मुस्कान
मुझे अच्छी लगती है।
तुम्हारी हँसी और भी
शानदार लगती है।
तुम्हारा लिबास, तुम्हारी स्टाइल
क्या बात है!
तुम्हारे चेहरे की चमक
जैसे हीरे जवाहरात हैं।
लेकिन मैं तुमसे क़तई
प्यार नहीं करता
क्योंकि मेरा प्यार तुम्हें
रास नहीं आता
और मैं ऐसा कुछ नहीं
करना चाहता
जो तुम्हें नहीं भाता।
तुम्हारी खुशी से मुझे
चैन मिलता है
प्यार इस चैन में
ख़लल डाल सकता है
तुम्हें नाराज़ कर सकता है।
मैं यह ख़तरा
मोल नहीं ले सकता
इस लिए माफ़ करना
मैं तुमसे प्यार
नहीं कर सकता।
-लक्ष्मीनारायण गुप्त
९ अगस्त, २०१६
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-08-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2431 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपकी कलम को !
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