Tuesday, July 9, 2013

कभी सूखे से डरते हैं, कभी पानी से डरते हैं..........सर्वत एम जमाल


 अजब हैं लोग थोड़ी सी परेशानी से डरते हैं
कभी सूखे से डरते हैं, कभी पानी से डरते हैं

तब उल्टी बात का मतलब समझने वाले होते थे
समय बदला, कबीर अब अपनी ही बानी डरते हैं

पुराने वक़्त में सुलतान ख़ुद हैरान करते थे
नये सुलतान हम लोगों की हैरानी से डरते हैं

हमारे दौर में शैतान हम से हार जाता था
मगर इस दौर के बच्चे तो शैतानी से डरते हैं

तमंचा,अपहरण,बदनामियाँ,मौसम,ख़बर,कालिख़
बहादुर लोग भी अब कितनी आसानी से डरते हैं

न जाने कब से जन्नत के मज़े बतला रहा हूँ मैं
मगर कम-अक़्ल बकरे हैं कि कुर्बानी से डरते हैं

-सर्वत एम जमाल

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  2. हमारे दौर में शैतान हम से हार जाता था
    मगर इस दौर के बच्चे तो शैतानी से डरते हैं
    बहुत अच्छा ......

    भारती दास

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  3. सुन्दर प्रस्तुति, न जाने कब से जन्नत के मज़े बतला रहा हूँ मैं
    मगर कम-अक़्ल बकरे हैं कि कुर्बानी से डरते हैं

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  4. न जाने कब से जन्नत के मज़े बतला रहा हूँ मैं
    मगर कम-अक़्ल बकरे हैं कि कुर्बानी से डरते हैं
    ..यही हाल है आज का ....

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति,यशोदा जी..

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...... आभार...

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  7. सुन्दर प्रस्तुति,यशोदा जी..

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  8. बहुत सुंदर
    मुझे तो यहां बहुत अच्छा लगता है


    कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
    http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/like.html#comment-form

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