Wednesday, July 24, 2013

कोई तो महक है...........मनीष गुप्ता




यूँ ही..... बेखबर ..... हैराँ तो नहीं मैं
कोई तो ख़लिश है जो चुभती है मुझको

बेबसी का आलम .... यूँ ही तो नहीं
कोई तो तड़फ है जो डँसती है मुझको

तेरी मौजूदगी का इल्म यूँ ही तो नहीं
कोई तो खबर है जो रहती है मुझको

तेरी बेरुखी के सितम यूँ ही तो नहीं
कोई तो कसक है जो उठती है मुझको

तेरी चाहत में मदहोश यूँ ही तो नहीं
कोई तो नज़र है जो लगती है मुझको

तेरी बातों में गुम दिल यूँ ही तो नहीं
कोई तो असर है जो करती है मुझको

तेरे हुस्ने दीदार का शौक यूँ ही तो नहीं
कोई तो महक है..जो चढ़ती है मुझको

-मनीष गुप्ता

2 comments: