Monday, November 18, 2024

स्मृतियों की झालर

 स्मृतियों की झालर



पूरे चांद की आधी रात में
एक मधुर कविता
पूरे मन से बने
हमारे अधूरे रिश्ते के नाम लिख रही हूं
चांद के चमकीले उजास में
सर्दीली रात में
तुम्हारे साथ नहीं हूं लेकिन

रेशमी स्मृतियों की झालर
पलकों के किनारे पर झूल रही है
और आकुल आग्रह लिए
तुम्हारी एक कोमल याद
मेरे दिल में चुभ रही है..

चांद का सौन्दर्य
मेरी कत्थई आंखों में सिमट आया है
और तुम्हारा प्यार
मन का सितार बन कर झनझनाया है
चांद के साथ मेरे कमरे में उतर आया है

- स्मृति आदित्य 'फाल्गुनी'

साभार- हथेलियों पर गुलाबी अक्षर

9 comments:

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    1. जी शुक्रिया -स्मृति

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  2. प्रेम की चुभन भी चाँदनी की तरह नशीली होती है

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    1. जी शुक्रिया -स्मृति

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  3. Replies
    1. जी शुक्रिया -स्मृति

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    2. जी शुक्रिया -स्मृति

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  4. जी शुक्रिया -स्मृति

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