अब है ख़ुशी ख़ुशी में न ग़म है मलाल में
दुनिया से खो गया हूँ तुम्हारे ख़याल में
मुझ को न अपना होश न दुनिया का होश है
मस्त होके बैठा हूँ तुम्हारे ख़याल में
तारों से पूछ लो मेरी रुदाद-ए-ज़िन्दगी
रातों को जागता हूँ तुम्हारे ख़याल में
दुनिया को इल्म क्या है ज़माने को क्या ख़बर
दुनिया भुला चुका हूँ तुम्हारे ख़याल में
दुनिया खड़ी है मुन्तज़िर-ए-नग़्मा-ए-अलम
'बेहज़द' चुप खड़े हैं किसी के ख़याल में...
----बहज़ाद लखनवी
प्रस्तुतिकरणः श्याम सुन्दर सारस्वत
Urdu Shabd ka Matlab likha kijiye janab, aap ki tarha koi hosiyar nahi hota...
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