अपने जीवन में सादगी रखना
आदमियत की शान भी रखना
डस न ले आस्तीं के सांप कहीं
इन से महफ़ूज़ ज़िंदगी रखना
हों खुले दिल तो कुछ नहीं मुश्किल
दुश्मनों से भी दोस्ती रखना
मुस्तक़िल रखना मंज़िले-मक़सूद
अपनी मंज़िल न आरज़ी रखना
ए सुख़नवर नए ख्यालों की
अपने शेरों में ताज़गी रखना
अपनी नज़रों के सामने ‘शेरी’
‘मीरो-ग़ालिब’ की शाइरी रखना
---------चाँद शेरी
आदमियत की शान भी रखना
डस न ले आस्तीं के सांप कहीं
इन से महफ़ूज़ ज़िंदगी रखना
हों खुले दिल तो कुछ नहीं मुश्किल
दुश्मनों से भी दोस्ती रखना
मुस्तक़िल रखना मंज़िले-मक़सूद
अपनी मंज़िल न आरज़ी रखना
ए सुख़नवर नए ख्यालों की
अपने शेरों में ताज़गी रखना
अपनी नज़रों के सामने ‘शेरी’
‘मीरो-ग़ालिब’ की शाइरी रखना
---------चाँद शेरी
बहुत अच्छी ग़ज़ल है.
ReplyDeleteआपकी पसंद और साहित्यिक सोंच की दाद देनी पड़ेगी.रचनाकार को इस बेहतरीन ग़ज़ल की बधाई.