विश्व महिला दिवस आठ मार्च पर विशेष
आने वाला है
महिला दिवस
लेकिन...
निजी तौर पर
ये मानना है
यही एक दिन नहीं
साल के सभी 365 दिन
हमारे ही हैं
ये दिवस तो
पुरुषों का
बनाया हुआ है
वे डरते हैं
शायद हमसे
इसीलिये वे
हमें इसी एक दिन
महत्वपूर्ण बनाने
की कोशिश..
की जाती है
लेकिन वास्तव में
हम पुरुषों को
डराते कभी भी नहीं
बल्कि जो भी काम करते हैं
हम अपने लिए
अपने परिवार के लिए
अपने समाज के लिए
अपने देश के लिए
ही करते है
-यशोदा
फराह खान के आलेख से प्रेरित
Beti bachao aur use sashkut kro, uski izzat se samaj me bete ke samaan sthan pkka kro, yeu sankalp har deshwasi kre, iss mahila divas por .BETI he do gharo ka vardan , Ishwer ki kripa se bhagyewan ghar ki barkat
ReplyDeleteसही कहा
ReplyDeleteहो ली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-03-2015) को "होली हो ली" { चर्चा अंक-1911 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
पूर्णतया सहमत हूं आपसे
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