जब आप दूर चले जाते हैँ धड़कनेँ थमने लगती हैँ
सांसेँ रुक जाती हैँ
यूं ही. . .
डर लगता है तुम्हेँ खोने से
तुमसे जुदा होने से
किसी का होने से
यूं ही. . .
बहार बन आये पतझड़ मेँ
दिल तुम्हारे लिए बेकरार था
तुम्हारा ही इंतजार था
यूं ही. . .
साथ निभाने का वादा करो
तब मुझे सुकून मिलेगा
सफर खुशनुमा कटेगा
यूं ही. . .
-प्रदीप दीक्षित
@कॉपी राइट
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Good Morning,
ReplyDeleteCome to my blog and read hindi poems written by Rishabh Shukla (me).
http://hindikavitamanch.blogspot.in/?m=1
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5-3-2015 को चर्चा मंच पर हम कहाँ जा रहे हैं { चर्चा - 1908 } पर दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
.बहुत ही सुन्दर , शुभकामनायें
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।