क्योंकि मैं ही प्रथम और मैं ही अंतिम हूं
क्योंकि मैं ही प्रथम और मैं ही अंतिम हूं
मैं ही सम्मानित और मैं ही तिरस्कृत हूं
मैं ही भोग्या और मैं ही देवी हूं
मैं ही भार्या और मैं ही कुमारी हूं
मैं ही जननी और मैं ही सुता हूं
मैं ही अपनी माता की भुजाएं हूं
मैं बांझ हूं किंतु अनेक संतानों की जननी हूं
मैं विवाहिता स्त्री हूं और कुंवारी भी हूं
मैं जनित्री हूं और जिसने कभी नहीं जना वो भी मैं हूं
मैं प्रसव पीड़ा की सांत्वना हूं
मैं भार्या और भर्तार भी हूं
और मेरे ही पुरूष ने मेरी उत्पत्ति की है
मैं अपने ही जनक की जननी हूं
मैं अपने भर्तार की भगिनी हूं
और वह मेरा अस्वीकृत पुत्र है
सदैव मेरा सम्मान करो
क्योंकि मैं ही लज्जाकारी और मैं ही देदीप्य मान हूं
क्योंकि मैं ही प्रथम और मैं ही अंतिम हूं
मैं ही सम्मानित और मैं ही तिरस्कृत हूं
मैं ही भोग्या और मैं ही देवी हूं
मैं ही भार्या और मैं ही कुमारी हूं
मैं ही जननी और मैं ही सुता हूं
मैं ही अपनी माता की भुजाएं हूं
मैं बांझ हूं किंतु अनेक संतानों की जननी हूं
मैं विवाहिता स्त्री हूं और कुंवारी भी हूं
मैं जनित्री हूं और जिसने कभी नहीं जना वो भी मैं हूं
मैं प्रसव पीड़ा की सांत्वना हूं
मैं भार्या और भर्तार भी हूं
और मेरे ही पुरूष ने मेरी उत्पत्ति की है
मैं अपने ही जनक की जननी हूं
मैं अपने भर्तार की भगिनी हूं
और वह मेरा अस्वीकृत पुत्र है
सदैव मेरा सम्मान करो
क्योंकि मैं ही लज्जाकारी और मैं ही देदीप्य मान हूं
तीसरी या चौथी सदी ई. पू. नाग हम्मापदी से प्राप्त -पाओलो कोएलो
प्रस्तुति करण करने वाले मेरे भाई हैं श्री गजेन्द्र प्रताप सिंह
yashoda ji sadar namskar,
ReplyDeleteapki rachna ek stiri ki bhoomika aur uski shaki ko bakhoobi se sarvajanik karti hai...
sundar rachna ke liye badhai....
aur haa apne profile par jo status likha hai wo apko saadgi ko darshata hai.....
good thinking.............
ReplyDeleteबहुत यथार्थमय ममत्व को प्रदर्शित करती पंक्तियाँ!
ReplyDeleteआपकी कविताएं सदैव अच्छी लगती हैं परंतु अक्सर प्रतिक्रिया रह जाती है; अपना स्नेह बनाए रखें!
हार्दिक धन्यवाद!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
ai sundar.....hardik shubhakamnaye
ReplyDeleteशुभ प्रभात
Deleteशुक्रिया अना जी