ग़ज़लराज़ अदम साहब चले गये.......................
कहां?????.....
वो तो यहीं है.....
हमारे आपके दिलों में.............
अमर हैं वे...............
कभी नहीं मर सकते
अदम गोंडवी में ज़मीनी पकड़ थी.
उनकी गज़लें खुरदुरी ज़रूर होती थीं लेकिन बात को तह से पकडे हुए होती थीं.
हाँ, उनका दायरा बहुत विस्तृत नहीं था;
शायद इसलिए कि वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे
और सीमित साधनों के कारण देश-दुनिया की महीन खोज-खबर नहीं ले पाते थे.
उन्होंने जितना लिखा वह बहुत है उन्हें समझने के लिए....!
मौत की ज़िन्दगी से य़ारी है
ज़िन्दगी मौत की तैय़ारी है।
जब भी बिछी है प्राणों की चौसर,
मौत जीती है ज़िन्दगी हारी है।
------------अदम गोंडवी.
तब्दीलिय़ॉं न आय़ेंगी व्य़वस्था में,
कमाएगी नदी और झोली समंदर से भरी होगी।
वक़्त के हाथों में पत्थर भी है, फूल भी,
चाह फूलों की हो तो चोट भी खाते रहिय़े।
------------अदम गोंडवी.
जिसने मरना सीख लिय़ा है
जीने का अधिकार उसी को,
जो कॉंटों के पथ आय़ा
फूलों का उपहार उसी को
------------अदम गोंडवी.
दर्द में उम्र बसर हो तो ग़ज़ल होती है
कोई साथ अगर हो तो ग़ज़ल होती है।
सिर्फ़ अल्फ़ाज़ ही माय़ने नही पैदा करते
दिल में कुछ फ़न हो तो ग़ज़ल होती है।
होता रहता है बहुत य़ूं तो दुनिय़ादारी में
दिल पे कुछ खास गुज़रे तो ग़ज़ल होती है।
फ़िक्र मोमिम की,ज़बां दाग़ की,ग़ालिब का बय़ां,
मीर का रंगे सुखन हो तो ग़ज़ल होती है।
------------अदम गोंडवी.
कहां?????.....
वो तो यहीं है.....
हमारे आपके दिलों में.............
अमर हैं वे...............
कभी नहीं मर सकते
अदम गोंडवी में ज़मीनी पकड़ थी.
उनकी गज़लें खुरदुरी ज़रूर होती थीं लेकिन बात को तह से पकडे हुए होती थीं.
हाँ, उनका दायरा बहुत विस्तृत नहीं था;
शायद इसलिए कि वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे
और सीमित साधनों के कारण देश-दुनिया की महीन खोज-खबर नहीं ले पाते थे.
उन्होंने जितना लिखा वह बहुत है उन्हें समझने के लिए....!
मौत की ज़िन्दगी से य़ारी है
ज़िन्दगी मौत की तैय़ारी है।
जब भी बिछी है प्राणों की चौसर,
मौत जीती है ज़िन्दगी हारी है।
------------अदम गोंडवी.
तब्दीलिय़ॉं न आय़ेंगी व्य़वस्था में,
कमाएगी नदी और झोली समंदर से भरी होगी।
वक़्त के हाथों में पत्थर भी है, फूल भी,
चाह फूलों की हो तो चोट भी खाते रहिय़े।
------------अदम गोंडवी.
जिसने मरना सीख लिय़ा है
जीने का अधिकार उसी को,
जो कॉंटों के पथ आय़ा
फूलों का उपहार उसी को
------------अदम गोंडवी.
दर्द में उम्र बसर हो तो ग़ज़ल होती है
कोई साथ अगर हो तो ग़ज़ल होती है।
सिर्फ़ अल्फ़ाज़ ही माय़ने नही पैदा करते
दिल में कुछ फ़न हो तो ग़ज़ल होती है।
होता रहता है बहुत य़ूं तो दुनिय़ादारी में
दिल पे कुछ खास गुज़रे तो ग़ज़ल होती है।
फ़िक्र मोमिम की,ज़बां दाग़ की,ग़ालिब का बय़ां,
मीर का रंगे सुखन हो तो ग़ज़ल होती है।
------------अदम गोंडवी.
ati sundar...pyare mishre, pyari gajal.....
ReplyDeletehamari or se gondvi ji ko sat sat namam avam shradhanjali...
अच्छा लिखती हैं। धन्यवाद
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