Monday, October 5, 2020

अगर चाँद मर जाता ... त्रिलोचन शास्त्री










अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?
खोजते सौन्दर्य नया?
देखते क्या दुनिया को?
रहते क्या, रहते हैं
जैसे मनुष्य सब?
क्या करते कविगण तब?
प्रेमियों का नया मान
उनका तन-मन होता
अथवा टकराते रहते वे सदा
चाँद से, तारों से, चातक से, चकोर से
कमल से, सागर से, सरिता से
सबसे
क्या करते कविगण तब?
आँसुओं में बूड़-बूड़
साँसों में उड़-उड़कर
मनमानी कर- धर के
क्या करते कविगण तब
अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब

- त्रिलोचन शास्त्री  

5 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति.

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  2. बहुत सुन्दर सृजन।

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  3. सच में सोचना पड़ रहा है कि क्या करते कविगण तब । अति सुंदर प्रस्तुति । आभार ।

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