Friday, October 30, 2020

चलते चलते ....नवीन कानगो

यकीन मानिए
मैं बाजार नहीं गया था
वरन् बाजार मेरे घर घुस गया
उसने बेचा मुझे बहुत कुछ
गैर-ज़रूरी
और ले गया
फ़ाख्ते
हरी घास
फुदकती गिलहरी
टिटहरी का आवाज
बगुलों का झुण्ड
फेरी वालों की पुकार
और बहुत कुछ...
कहते हैं सौदे में हमेशा 
बाजार कमाता है


-नवीन कानगो


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