Friday, September 18, 2020

क्या जरूरत थी आपको मेरी....डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी

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दिल्लगी सिर्फ इक बहाना था।
उनका मकसद तो आज़माना था।।

मैं तो लूटा गया उन्हीं  से फिर ।
जिनसे  रिश्ता  बहुत  पुराना था ।।

तोड़  डाला   उसी  ने   दिल   देखो ।
जिसका दिल मे ही आना जाना था ।।

हो  गई  कहकशाँ में जब  साजिश ।
इक सितारे को टूट जाना था ।।

तेरी यादें भी कितनी ज़ालिम थीं ।
रात भर अश्क़ को बहाना था ।।

मौत  के  बाद  आये  हैं जिनको ।
दम निकलने से पहले आना था ।।

चार कंधे नसीब भी न हुए ।
साथ जिसके खड़ा जमाना था ।।

रिन्द प्यासा गया तेरे दर से ।
जाम कुछ तो उसे पिलाना था ।।

क्या जरूरत थी आपको मेरी ।
आसमा सर पे जब उठाना था ।।
-डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 18 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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