जब परिन्दा उड़ान पर होगा
तीर कोई कमान पर होगा
देश की एकता का सुर इक दिन
देखना हर जबान पर होगा
छिड़ गई फिर वही महाभारत
रक्स शकुनी की तान पर होगा
देश का हर जवान सरहद पर
खेतवाला मचान पर होगा
कस्मे-वादे निभा के चल वर्ना,
हुस्न तेरा ढलान पर होगा
क्या पता था बुरी नजर का असर
हिन्द के खानदान पर होगा
तुझमें कितना है हौसला 'शेरी'
फैसला इम्तिहान पर होगा।
-चाँद शेरी
एक अच्छा सन्देश देती हुई पोस्ट.. अच्छा लगा..
ReplyDeleteNice one.
ReplyDeleteये कविता पढ़ते ही लगा जैसे वीरता और जिम्मेदारी की गूंज कानों में बज उठी हो। हर पंक्ति में देशभक्ति का जुनून झलकता है और साथ ही हौसले की चुनौती भी दी गई है। मुझे अच्छा लगा कि कवि ने सिर्फ तारीफ़ नहीं की, बल्कि इम्तिहान और जिम्मेदारी का संदेश भी दिया।
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