Thursday, August 20, 2015

वो पल भर की नाराजगियाँ................अज्ञात शायर


मैं यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

मैं गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.

मैं देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,

मैं शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,

अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।

-अज्ञात शायर

3 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (21.08.2015) को "बेटियां होती हैं अनमोल"(चर्चा अंक-2074) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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  2. अब खुद से भी रूठूँ तो,
    कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।


    बहुत खूब.

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