अचानक आई बीमारी
दुर्घटना
या ऐसे ही किसी हादसे में
हताहत हुए लोगों को देखने
उनसे मिलने
उनके घर जाओ
या अस्पताल
उन्हें खून दो
और पैसा, यदि दे सको
नही तो जरूरत पड़ने पर कर्ज ही
उनके इलाज में मदद करो
जितनी और जैसी भी
मुमकिन हो या मांगी जाए
तुम भी जब कभी
हालात से मजबूर होकर
दुखों से गुजरोगे
तब तुम्हारा साथ देने
जो आगे आएंगे
वे वही नहीं होंगे
जिनकी तीमारदारी में
तुम हाजिर रहे थे
वे दूसरे ही लोग होंगे
मगर वे भी शायद
इसीलिए आगे आएंगे
कि उनके जैसे लोगों की
मुसीबत में मदद करने
तुम गए थे..
-पंकज चतुर्वेदी
...... तरंग, नई दुनिया
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (08-12-2014) को "FDI की जरुरत भारत को नही है" (चर्चा-1821) पर भी होगी।
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सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत ही बढियाँ
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