Sunday, March 30, 2014

चैन मिल जाता है उसे खुशगवार देखकर...निधि मेहरोत्रा


चले तो आये हो प्यार की बहार देखकर
पर दुश्वार है राह, चलना तू खार देखकर

मैं उदास हो जाऊं तो कोई बड़ी बात नहीं
चैन मिल जाता है उसे खुशगवार देखकर

जानती हूँ मेरे न बोलने से वो परेशान होगा
कभी कभी अच्छा लगता है बेक़रार देखकर

रोज़ बदल देते हैं चाहने वालों की फेरहिस्त
ताज्जुब होता है बच्चों की रफ़्तार देखकर

प्यार,वफ़ा,रिश्तों का कोई खरीदार नहीं है
यहाँ अब सब तय होता है बाज़ार देखकर

सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था रिश्ते में
हैरान हूँ बहुत अचानक यह दीवार देखकर

न शिकवा था और न ही शिकायत थी कोई
अन्दर कुछ दरका है लगा यह दरार देखकर

-.निधि मेहरोत्रा

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