Wednesday, June 26, 2013

कलम, आज उनकी जय बोल...............राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता


राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता
(इस रचना पर मेरी नजर वेब दुनिया पर सर्च करने के समय पड़ी)



जला अस्थियां बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल

पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल

अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल।
कलम, आज उनकी जय बोल... 
राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता

6 comments:


  1. वाह !! उम्दा प्रस्तुति
    दिल से आभार
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत खुबसूरत.... दिनकरजी ये रचना जो सामयिक है

    आह्लादित हो गई.बहुत सुन्दर
    भारती दास


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  3. उम्दा प्रस्तुति
    दिल से आभार

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  4. उम्दा प्रस्तुति

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