Thursday, May 9, 2013


अभी-अभी जो चली हवा,
एक सर्द सा एहसास हुआ,..

दिल को करार सा मिला,
दर्द जाने कंहा गुम हुआ,..

गालों पे लुढ़क आई बूंदे,
आंखो को जाने क्या हुआ,..

मेरे लब जरा सा हंस दिए,
बेचैनियों को विदा किया,..

सब सोचने लगे मुझे देखकर,
अचानक मुझे ये क्या हुआ,..

नम थी मेरी आंखे भले ही,
पर खुशी का अहसास हुआ,..

कोई आकर न मुझसे मिला,
न बात,न ही कोई वादा हुआ,..

पर ये हवांए यूंही नही चली,
बेसबब तो कुछ भी न हुआ,..

जिसके लिए तरसी ये आंखे,
मैं जानती हूं "वो" आ गया,
---प्रीति सुराना

4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आपका आभार.

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  2. पर ये हवांए यूंही नही चली,
    बेसबब तो कुछ भी न हुआ,..

    ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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