Friday, January 3, 2020

आखिरी धुन + जिंदगी की राहों में....अकांक्षा सक्सेना

कॉल सेंटर जोकि लोगों की नज़र में बदनाम जगह है। लोग कानाफूसी करते हैं कि वहां झोरे-झोरियां दिन-रात फोन पर लगे रहते हैं। पता नहीं कैसी जॉब है? अच्छा हो कि कोई और सभ्य जॉब कर लेते, यहीइच जॉब बचा था क्या बाबा... । रोज-रोज आदित्य अपने पड़ोसी की यह बात सुनते हुए बोला, ''यार आपकी प्रोब्लेम क्या है? यह दिल्ली है, यहां रूम हीटरों वालों की शर्दी छोटी और सड़कों वालों का दिसम्बर बहुत लम्बा होता है.. तुम्हें क्या लगता जैसे तैसे नौकरी मिली है, रात की, दो वक्त की रोटी, यह एक रूम का किराया, ट्रैवल खर्च सब झेल रहा रहा हूँ। चल बता कर लूं सभ्य नौकरी, तू दिलवाने का ठेका लेगा..तेरी सोच की सभ्य जॉब का फार्म भरते,टेस्ट देते-देते थक गया हूँ, अब सेलेक्शन ही नहीं हुआ क्या करूं? उसका मकान मालिक बोला, ''ज्यादा बकवास ना करियो, वहां गोरी-गोरी अप्सराओं को देखने के लिए तुम ससुरों मरते हो कॉल सेंटर में जाकर...आदित्य गुस्से में बोला, ''तुम और तुम्हारी गंदी सोच, इलाज कराइ लो। दोनों के शब्दों के युद्ध में एकाएक विराम लग गया कि सामने से रितु ने आकर मकान मालिक के हाथ को पकड़ते हुए कहा,अंकल आप ही चुप हो जाइये ना..
मकान मालिक रितु को देखते अवाक् रह गये.. क्योंकि वह उनकी सोच से ज्यादा मिनि स्कर्ट टॉप लोंग जूते पहने, आदित्य को खींचते हुए कॉल सेंटर वाली कार में बैठा आयी और वापस पलट कर धीरे-धीरे मकान-मालिक के सामने बढ़ी जिससे मकान मालिक की की दिल की धड़कने तेज हो गई.. वो पास आकर मकान-मालिक के कान में बोली, ''अंकल, इस तरह मत घूरिये, मेरी एक बच्ची है और मैं सिंगल मदर हूँ। यह सुनकर मकान मालिक चौंका.. वह आगें बोली. अंकल जी आदित्य यानि आदि पर शक न किया करो। वह अपनी अंग्रेजी अच्छा करने के लिए यह जॉब कर रहा है और बहुत मेहनत भी.. जॉब अच्छी या बुरी नहीं होती, हमारी सोच, हमारी मानसिकता अच्छी बुरी होती है। कहते हुए वह वापस जाकर आदि के साथ कार में जाकर बैठकर कॉल सेंटर को चली गई। दोनों कार में बैठकर मुस्कुराते हुए आगें बढ़ चले। दोनों ऑफिस में बैठे थे और रितु तमिल थी वह हिंदी अच्छी करने में लगी थी और आदित्य अंग्रेजी अच्छी करने में लगा रहा। करीब एक साल बीत चुका था और दोनों लोग अपनी भाषाई सफलता पा चुके थे। रितु ने कहा आदि अब में मेरे घर लौट रही हूँ, आदि ने कहा मैं भी लौट रहा हूँ.. 
दोनों बातें करते हुए रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं तब आदित्य कहता है रितु हम दोनों ही लेट हो गये वो देखो ट्रेन तो छूट गयी... तभी रितु ने कहा, ''दूसरी आयेगी... । आदित्य ने कहा, '' यू आर राइट। तभी वहीं एक गरीब बासुंरी बजाता हुआ भीख मांग रहा था। दूसरी तरफ़ ढ़ोलक वाला ढ़ोलक बजाते हुए भीख मांग रहा.. वही जादूगर कला दिखाते हुए फटेहाल भीख मांग रहे थे.. यह देख आदित्य ने उस भिखारी की बासुंरी ली और बजाने लगा.. और वह बांसुरी बजाने में इतना खो गया कि आधा घंटा बजाता रहा.. उसके आस-पास बहुत भीड़ इकठ्ठा हो गयी तभी उसने ढोलक बजानी शुरू की तो लोग ताली बजाने लगे... बहुत से लोग वीडियो भी बना रहे थे। तभी रितु को उसकी बेटी की कॉल आ जाती है वह कहती है मम्मा कब आ रही हो..रितु सोचती है कि अगर वह बोड़िंग स्कूल जाती है तो बच्ची लिपट जायेगी और मुझे हेपटाइटिस है मेरे बहुत करीब आने से उसे हो गया तो.. वह कहती है, बेबी.. थोड़ा सा और इंतजार करो, मैं आऊंगी। इधर आदित्य कहता है रितु वो देखो तुम्हारी भी ट्रेन छूट गयी है और तुम चुप बैठी हो.. घर नहीं जाना। रितु ने मुस्कुराते हुए कहा, ''आदि, तुम इतनी अच्छी बांसुरी बजाते हो.. तुम यही कैरियर क्यों नहीं चुनते? आदित्य कहता है बात तो तुम सही कहती हो.. मुझे पता नहीं था कि मैं सचमुच इतने विश्वास से बजा पाऊंगा.. एक बात तो सच है जब साथ में महिला दोस्त हो, वो भी आप जैसी अच्छी तो बंदा कुछ भी कर जाये... जहां जीत ले। वह मुस्कुराती हुई कहती है कि एक काम करो तुम खुद भी आगें बढ़ो और इन गरीबों का भी कुछ सोचो.. आज टेलेंट सड़को पर यूं भीख मांग रहा...। आदित्य ने कहा तुम मेरे ही रूम में साथ रहो.. एक जगह खाना बन जायेगा किराया भी बंट जायेगा.. वह बोली नहीं आदित्य... मैं साथ नहीं रह सकती पर हर रोज मिलते रहेगें। इधर दूसरी जगह आदित्य रूम ले लेता है और बांसुरी का रियाज शुरू करता है और सुरों पर बहुत मेहनत करता है और दो दिन बाद रितु आकर कहती है, आदित्य इसमें कोई शक नहीं कि तुम बेहतरीन बांसुरी बजाते हो.. पर बांसुरी तो बहुत लोग बजाते हैं.. तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें कुछ और सोचना चाहिए.. वह हैरानी भरी नजरों से कहता है.. क्या? रितु कहती है, तुम सुरों पर नहीं अब समय पर फोकस करो... तुम विश्व रिकार्ड बनाओ.. कि कितने घंटे लगातार बजा सकते हो...। आदित्य के सोच की ऊपर की बात थी वह उठा और रितु को गले लगाने के लिए आगें बढ़ा तो रितु छिटक कर दूर हो गयी.. प्लीज़... मुझे समय दो आदि। आदित्य ने कहा ओके ओके.. पर हम अच्छे दोस्त तो हैं ना.. वह बोली कोई शक.. दोनों हँस पड़े। रितु ने अपनी जेब से कलम निकालते हुए कहा, अब कुछ दिन मैं नहीं आऊंगी, अब तुम चुपचाप अपने मिशन पर तत्पर रहो बस। आदि ने कहा, 'काला पानी की सजा दे दी। रितु ने कलम की तरफ़ देखते हुए कहा,' 'बिल्कुल नही, काले पेन की सजा... यह सुनकर दोनों हँस पड़े। तभी आदि ने आओ! आलू पराठा बनाया है, चलो मिलकर एक प्लैट में खाते हैं, दोस्ती के नाम। रितु छूटते ही बोली,' 'सॉरी, मुझे पराठा पसंद नहीं, मुझे जरूरी काम है बैंक जाना है। रितू को जाते आदि पीछे से बोला, ''ओये! काला पैन, दो तीन करोड़ मेरे खाते में भी ट्रांसफर कर दियो.. वह हँसते हुए बोली.. अरे! बिल्कुल बिल्कुल अपना मोबाइल चैक करते रहना मैसेज आयेगा, पैसे ट्रांसफर हुए... दोनों हँसते हुए... अपने-अपने रास्ते हो गये.... रितु डायरेक्ट हॉस्पिटल गयी। जहां चैकअप से पता चला कि वह हैपेटाईटस-बी की अंतिम अवस्था में है। अब वह नहीं बचेगी। रितु हॉस्पिटल में अपनी रिपोर्ट को कुछ पल देखते रहती है और कहती है कि मैं मेरी आठ साल की बच्ची से झूठ बोलकर नहीं मरूंगी। मैं एक दो दिन में उसे सबकुछ बता दूंगी। तभी डॉक्टर आकर कहते हैं मैडम जल्द से जल्द एडमिट हो जाइये.. हो सकता है, कुछ दिन और कवर हो जाये। आपका एडमिट होना बहुत जरूरी है। रितु भरी आँखों से डॉक्टर की तरफ़ देखती है तो वह सिर पर हाथ रखकर कहते हैं रिलेक्स। गॉड इस ग्रेट। कहकर वहां से चले जाते हैं। तभी रितु का फोन बजता है वह आँसू पोछते हुए.. तभी आदि कहता है.. ओये! काला पैन.. चुप क्यों हो.. चलो रूपये गिनने में लगी रहो.. बैंक में.. वह बोली, मैं कोई कैशियर हूं.. मशीन हूं.. क्यू गिनूंगी रूपये.. वह कहता है.. यार अपना पैसा तो गिन रही होगी.. वह बोली अपना गिन चुकी हूं.. तेरा दो करोड़ के लिए मशीन मंगवाई है... यह सुनकर वह जोर से हँस पड़ता है। वह कहता है.. सुन सुन.. मुझे कल रात न्यूयॉर्क जाना पड़ रहा... दो दिन बाद तुम्हारा विश्व रिकॉर्ड वाला सपना पूरा होने का दिन है... रितु कहती अरे! वाह... करो हर मैदान फतेह । वह कहता है चलो ना साथ एयरपोर्ट तक... तुम्हारा लक, मुझे सफलता देगा। तुम साथ चलो ना रितु...। वह कहती है, इतनी भी छूट नहीं है मुझे घर से कि तुम्हारे जैसे हैंडसम लडके के साथ अमेरिका चली जाऊं... वह बोला.. हैंडसम.. पूरी साल बाद मुझे एक तारीफ का शब्द मिला... चलो कोई बात नहीं, जल्दी आ जाओ। मेरी पैंकिंग करवा दो... एयरपोर्ट तक छोड़ आओ...प्लीज। रितु ने कहा, ''मैं तुरंत आ रही हूं।''कुछ देर बाद रितु आदित्य की सारी पैंकिग करवा देती है। तो आदित्य कहता है रितु तुझे डर नहीं लग रहा मैं ऐयरोप्लैन से जा रहा हूँ कहीं प्लान क्रैश हो जाये.. सब कुछ ठहर जाये। मैं मर जाऊँ। रितु कहती हैं, तू इतनी बकवास सोच कैसे लेता है। चुप कर। वो कहता है रितु तू मुझसे हमेशा दूर क्यों भागती रहती है.. मैं तुझे पसंद करता हूँ..तेरे मॉम डैड के पांव पढ़कर तुम्हें मांग सकता हूँ। तू चुप हो जाती है। रितू कहती है तू फैमस हो जा पहले, सपने पूरे कर लें फिर जियेगें ना..तू क्यों चिंता करता। आदि कहता पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा कि तू मुझसे कुछ छिपा रही है। वह कहती है, नही कुछ भी नहीं। वह कहता है, आज विक्सी वही लाल बाल टैटू वाला दोस्त कह रहा था रितु बैंक नहीं हॉस्पिटल जाते देखा पर मुझे तुझ पर विश्वास है कि तू बैंक गयी थी। रितू ने कहा तू मेरी जासूसी करा रहा। आदि ने कहा अरे! नहीं उसकी कॉल आयी, तेरी बातें छिड़ गयी तो मैंने कहा कि वह आयी थी बैंक चली गई है,बाद में किसी और दिन पार्टी करना। 
रितु ने कहा, आदि अब मैं चलती हूँ। आदि ने कहा, आज की रात यहीं रूक जाओ.. भले ही दूर - दूर रहो पर मेरे सामने रहो.. मुझे न्यूयार्क जाना हैं पता नहीं कब लौटूं। रितू ने कहा, ''नहीं दोस्त, तुम रियाज करो... योगा करो.. शांत मन करो। यही ऊर्जा तुम्हें सफलता दिलायेगी। मुझे मेरे रूम पर जाने दो। वह कहता है प्लीज़ रूक जाओ... तुम्हीं मेरी ऊर्जा। वह सोचती है चलो रूक जाती हूँ वरना ये दुखी होगा। वह कहती है ओके। मैं रूक जाती हूँ और तुम्हारी योगा क्लॉस शुरू। वह कहता है हर क्लास मंजूर। दोनों अच्छा समय बिताते हैं और रितु उसको ढ़ेर सारे उत्साह से भर देती है और कहती है तुम देश का नाम रोशन करोगे। मुझे विश्वास है। यह सुन्दर पल कब फिसल गये पता ही न चला कि आज दोनों एयरपोर्ट पर पहुंचे दोनों साथ बैठे हुए थे। वह बोला आज तो गले मिल लो.. वह बोली जीत के लौटना तब पक्का। वह कहता है डायरेक्ट शादी की बात होगी बहुत हो गया तुम्हारा... वह हँस पड़ती है और कहती बांसुरी मानवता की सेवा वाली प्रेम धुन बजाना... 
वह कहता है बिल्कुल मेरी दोस्त.. तुम टीवी पर देखना, यूट्यूब वगैरह पर होगा वह प्रोग्राम, मैं तुम्हारी कॉल का इंतजार करूंगा। रितू मुस्कुराते हुए बाहर रह जाती है और आदित्य न्यूयार्क के लिए उड़ जाता है। रितू घर आकर देखती है कि चौंक जाती है उसकी हॉस्पिटल रिपोर्ट वाली बैग कहीं नहीं दिखती तभी उसे याद आता है कि सेम टू सेम बैग आदित्य के बैग पर चला गया। वह घबरा जाती है कि ओह! माय गॉड। इधर सोच - सोच कर रितू का दिमाग हिल जाता है वह चुपचाप गहरी सांस लेती है और कुछ देर बाद रितु अपनी बेटी को कॉल मिलाकर अपनी मौत बताने का बहुत प्रयत्न करती पर वह चाह कर भी नहीं बता पाती है क्योंकि आज उस बच्ची ने टॉप किया था और वह उसकी हंसी को आंसू में नहीं बदलना चाहती। इधर  अमेरिका में कोट वगैरह पहनकर तैयार होकर मंच पर जाने के लिए रैडी हो रहा होता है जहां आज उसका विश्व रिकॉर्ड बनना है। तभी वह अपना रितु की हंसती हुई पिक देखने के लिए वह कपड़ो में अपना मोबाइल ढूंढ़ने लगता है कि तभी उसकी नज़र उस हॉस्पिटल रिपोर्ट पर पड़ती है, वह कहता है, ये मैंने रितु के बैग से चुपचाप निकाले थे आखिर! वह कुछ छिपाती है पर क्या? वह तुरंत पूरी रिपोर्ट पढ़ लेता है और वहीं फूट-फूटकर रो पड़ता है। उसके दिमाग में सब रील घूम जाती है कि रितू इस बीमारी के कारण दूर - दूर रहती थी कि मुझे ना हो जाये और इसमें तो उसकी बेटी का भी नाम है, मतलब उसकी बेटी भी है। सोचती होगी मैं एक बेटी की मां हूं। यह सुनकर कहीं आदि उससे दूर न हो जाये। वो सब सहकर मुझे आगें बढ़ाने में लगी रही। मुझे तो खुद नहीं पता था कि कॉल सेंटर जॉब छोड़ने के बाद घर जाकर क्या नया जॉब करूंगा. पर रितु ने मुझे रास्ता दिखाया और आज यहां तक मुझे पहुंचा दिया। मतलब कि रितु उस दिन हॉस्पिटल ही गयी थी और वह हँसती रही। कि मुझे कोई दुख न हो, आदित्य जमीन पर बैठा सोच ही रहा था कि तभी उसके रूम में दो लोग आते हैं और रिलेक्स कहकर उसे बाहर ले आते हैं और उसके हाथ बांसुरी पकड़ा दी जाती है... वह आंसुओं को पीता हुआ.. बांसुरी की धुन छेड़ देता है और लगातार तीन दिन तक बिना रूके बांसुरी बजाता रहता है.. तभी चारों ओर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठता है। तभी एक ढोलक उसकी ओर बढ़ा देते हैं तो आदित्य घंटों ढोलक बजाता है और एक शानदार ढोलक अंतत: फट जाती है और पूरा हॉल खड़े होकर तालियां बजाता है और आज आदित्य विश्व बांसुरी चैम्पियन का खिताब जीत लेता है और आज वह उस बुलंदी पर होता है जहां से उसे सबकुछ धुंधला दिखाई देता है वह यही सोचता है कि कब यहां से निकलूं। पता नहीं रितु जिंदा मिलेगी भी या नहीं। किसी तरह सारी औपचारिकता पूरी करने बाद मीडिया से छिपतेे हुए वह सीधे ही एयरपोर्ट पहुंचता है और बस जल्दी से जल्दी दिल्ली पहुंचने की कोशिश करता है। वह सोचता है कि रितु की रिपोर्ट मेरे पास है, यह रितु जान गयी होगी। बस कॉल नही सीधे ही जाकर उसे सीने से लगा लूंगा। फिर एकाएक झटका लगा पता लगा आ गये भारत और वह जल्दी से वहां से निकला और किसी तरह लोगों की भीड़
 से बचते हुए सीधे अपने रूम पर पहुंचा जहां उसे रितु नहीं मिली। उसने रितु को कॉल मिलाया तो फोन स्विच ऑफ था। वह हॉस्पिटल रिपोर्ट में दिये गये नम्बरों पर कॉल करते हुये हॉस्पिटल पहुंचा तो डॉक्टर ने दूर रूम की तरफ़ इशारा किया, वह दौड़ता गिरता उस रूम के अंदर पहुंचा तो एक छोटी बच्ची और एक महिला उसके पास बैठी रो रही थी। उसने डायरेक्ट उसके चेहरे से चादर हटाया तो उसकी रितु इस दुनिया से बहुत दूर जा चुकी थी। उसने उसके माथे  को चूँम लिया और उसे गले लगाकर फूट फूट कर रो पड़ा। तभी वह बच्ची बोली मम्मा मेरी है.... तो आदित्य ने उस बच्ची को गले लगाकर कहा, तेरी मम्मा मेरी भी बहुत कुछ है... वह सिर पीटने लगता है आखिर! लडकियां इतनी बातें छिपाते ही क्यों हैं... क्या हम सब मर्द इस विश्वास के काबिल नहीं.... एक मौका तो देती। तभी मीडिया से पूरा रूम भर जाता है तो वह कहता है यह मेरी बेटी है और यह मेरी पत्नी। यह है मेरी फैमली... पर अधूरी...। मीडिया पूछते हैं आपने जो धुन गायी आप उसे क्या नाम देना चाहेगें... तो आदित्य हाथ जोड़ते हुए कहता है अधूरी धुन...! आदित्य का दुख देखकर मीडिया रूम से बाहर चली जाती है...... और हॉस्पिटल के बाहर आदित्य के बाहर फैन की भीड़ लग जाती है...बाहर रेलवे के ढोलक - बांसुरी लिये भिखारी ताली बजाते हुए कहते हैं कि  अब यह हम लोगों के लिए कुछ करेगा.. शायद अब हम  भिखारी ना रहें। यह सुनकर दूसरा भिखारी कहता है, उसका प्यार मर गया.. उससे बड़ा गरीब आज कौन? हम भी भिखारी धन बिना वो  भी भिखारी प्रेम बिना.. तुम तो फिर भी मुस्कुरा रहे... वह जीत कर भी सबकुछ हार गया.....! 

🙏
हमने इसी कहानी को गीत में ढ़ाला जो इस तरह है..... 

ज़िन्दगी की राहों में हम किसी से मिल गए ......

जिंदगी की राहों में
हम किसी से मिल गए 
कोई रिश्ता था  नही
फिर भी रिश्ते बन गए ।
  
ना थी मंज़िल की ख़बर
ना था अपना ही पता 
उस नज़र के मिलते ही 
रास्ते खुद ही बन गए ।

आज हूँ में बुलंदी पर
मुट्ठी में कायनात है 
सब कुछ हासिल है मुझे 
पर, वो नज़र कहीं खो गयी।

ऐसा लगता है मेरे मौला 
ज़िस्म में ही रूह सो गयी।
जिंदगी की राहों में
हम किसी से मिल गए
कोई रिश्ता था नही फिर 
भी रिश्ते बन गए।
-अकांक्षा सक्सेना

2 comments:

  1. वाह! बहुत ही भावुक कहानी और गीत भी।
    जब मन हार जाए तब क्या करना चाहिए....इस सवाल का जवाब देती यह पूरी रचना।

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  2. प्रशंसनीय प्रस्तुति

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