Sunday, January 12, 2020

हाइकु-मालिका ...मीनू खरे

पूस की रात
खुला आसमाँ और
आवारा कुत्ते!

क्या कहते हैं?
भौं-भौं करके ये 
आवारा कुत्ते!

रात भर ये
खुली जंग लड़ते
ठिठुरन से ।

अगले दिन
धूप से बतियाते 
आवारा कुत्ते!

हाड़ कँपाएँ
ठंड की लम्बी रातें
खुला आसमाँ।

सहनशक्ति
ओढ़कर सो जाते 
आवारा कुत्ते!

चन्द टुकड़े
रोटियाँ खाकरके
पूँछ हिलाते।

चौकीदारी से
हक़ अदा करते
आवारा कुत्ते!

आज का युग
आस्तीन के साँपों का-
हाँ ये सच है!

वफ़ादारी से
हैराँ कर जाते हैं
आवारा कुत्ते!
-मीनू खरे
meenukhare@gmail.com
मूल रचना

6 comments:

  1. वफ़ादारी से
    हैराँ कर जाते हैं
    आवारा कुत्ते!


    ye baat sirf wo hi smjh sktaa he...jisne ye experiecne kiya ho....apne aas paas sadkon pr rehate aawara kutte...jo unhe roz ik roti daale unke aane jaane se utsaah dikhaate hain....ye rojmraa ki zindgi me dekha jaa skta he....


    magr gehraayi se shbdon ko pdhaa jaaye to..kuch aur hi arth saamne aa jata he....chand sikko ke khanak me kaise kuch aawaaraa log ..paison ke loye apni imaandari dikhaa jaate hain

    :)

    acchi post

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  2. बेहतरीन...
    सादर...

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  3. वाह क्या खूब लिखा आपने।

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