तेरी यादों का अभी दिल पर असर बाकी है
जो करेंगे साथ में तय वो सफ़र बाकी है
यूँ तो अश्क़ों से मुकम्मल हो चुका है दरिया
फिर भी दरिया में मुहब्बत की लहर बाकी है
कुछ तो डर खुद से या मौला से तू आदम
तेरा तुझ पर ही अभी बदतर क़हर बाकी है
तीरगी दिखती रही तुझमे 'मनी' दुनिया को
कुछ बता तुझमे उजाला किस कदर बाकी है
सुन्दर रचना इन पंक्तियो से स्वागत है
ReplyDeleteइन्सानियत का दम घुट रहा है नंगे लिबासों में
आधुनिकता का कुछ और जहर अभी बाकी है.