Thursday, March 16, 2017

सकारात्मक सोच.......मल्लिका मुखर्जी













मुद्दत के बाद,
आज अचानक
चलते-चलते
नज़र पड़ी
धरती का सीना चीरकर
निकलने वाली
उन हरी-हरी कोपलों पर !

सोच रही हूँ,
यह प्रकृति की उदारता है,
मेह का स्नेह है
या
बीज का साहस
जो धरती की गोद में छिपकर
राह तक रहा था
सही समय का ?
-मल्लिका मुखर्जी 

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