Monday, April 29, 2013

जिन्दगी डराती है...................डॉ. मधुसूदन चौबे


बहुत ही महीन हाथों से सिर दबाती है
दर्द होने पर, माँ अक्सर याद आती है 

तारा बनकर चमक रही है आकाश में
उसकी रोशनी मेरे दिल तक आती है 


इतनी उम्र में भी नन्हा समझती रही
अब भी उंगली पकड़ रास्ता बताती है


तू थी, तो सब ठीक चलता था माँ
तेरे बिना जिन्दगी बहुत ही डराती है


आंसू न बहा, अब चुप हो जा ‘मधु’
तेरे रोने से तो माँ बहुत घबराती है 





-डॉ. मधुसूदन चौबे [२९-०४-१३] [२] [५१] [१८३]
१२९, ओल्ड हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, बडवानी [म. प्र.]
मो. ७४८९०१२९६७

7 comments:

  1. बहुत खूब कहा |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति......

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  3. बहुत सुन्दर प्रसूति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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  4. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.

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  5. ma ik yad kabhi jati nahi bahut sundar .....

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